- by Super Admin
- Jun, 27, 2024 21:02
चंडीगढ़ : भाजपा की विजय शंखनाद रैली के बाद अब महाभारत धरा कुरुक्षेत्र से शोषित वर्ग (दलित) एकजुटता की हुंकार भरेगा। पिपली में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय दलित सम्मान स्वाभिमान समारोह में केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल बतौर मुख्यातिथि शिरकत करेंगे, जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व राज्यसभा सांसद दुष्यंत गौतम होंगे। पिपली स्थित गुरु रविदास मैमोरियल स्थल पर 26 अगस्त को आयोजित होने वाले दलित सम्मेलन के जरिये भाजपा ने दलितों को एकजुट करने की रणनीति तैयार की है। इस रणनीति को भाजपा नेता और मनोहर लाल खास माने जाने वाले सुदेश कटारिया अमलीजामा पहनाने की कवायद में जुटे हुए हैं। कटारिया सम्मेलन की तैयारियां का जिम्मा खुद संभाल रहे हैं। इसके साथ ही सम्मेलन को सफल बनाने के लिए कटारिया की ओर जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। दलित संगठनों व सभाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक का सिलसिला लगातार जारी है। इसके साथ ही प्रदेश के हर जिले में दस्तक दे रहे हैं। सुदेश कटारिया ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल को दलित सम्मान समारोह का निमंत्रण दिया। उनके साथ जनस्वास्थ्य मंत्री डॉ. बनवारी लाल, राज्यसभा सांसद कृष्णलाल पंवार, विधायक सत्यप्रकाश जरावता और पूर्व सांसद अशोक तंवर मौजूद रहे।
शोषित समाज में नई क्रांति व नई उम्मीद का महायज्ञ है दलित सम्मेलन : कटारिया
राज्य स्तरीय दलित सम्मान स्वाभिमान समारोह की तैयारियों का जिम्मा संभाल रहे भाजपा सुदेश कटारिया का कहना है कि 26 अगस्त को आयोजित होने वाले दलित सम्मेलन पीड़ित, शोषित दलित समाज में नई क्रांति और नई उम्मीद का महायज्ञ है। सम्मेलन में दलित एकजुटता के साथ संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के अधूरे मिशन को पूरा करने का संकल्प लेंगे। प्रदेश के हर जिले में जनसंपर्क अभियान जारी है, अभी तक फतेहाबाद, कैथल, जींद, रोहतक व झज्जर सहित अंबाला व यमुनानगर में सम्मेलन का न्यौता दलितों को दिया जा चुका है।
मनोहर लाल के शासनकाल में मिला दलितों को मान-सम्मान : सुदेश
सुदेश कटारिया ने बताया कि समारोह में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय ऊर्जा, आवास व शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल मुख्यातिथि होंगे। उन्होंने अपने साढ़े 9 साल के मुख्यमंत्रित्व काल में अंत्योदय उत्थान की भावना के साथ दलितों को मान-सम्मान देने का काम किया है। दलित महापुरुषों व संतों की जयंती सरकारी आयोजन पर मनाकर उन्होंने एक मिसाल कामय की है औ दलित महापुरुषों व संतों को मान-सम्मान मिला है, जबकि कांग्रेस ने हमेशा दलितों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। यही नहीं कांग्रेस के 10 साल के शासनकाल में दलितों को दंबगई व अत्याचार सहने पड़े। गोहाना व मिर्चपुर कांड को दलित अभी तक भुला नहीं पाए हैं। दलित सम्मेलन में शोषित वर्ग कांग्रेस को वोट की चोट से जवाब देने की हुंकार भरेगा।