- by Vinita Kohli
- Jan, 01, 2025 10:33
पटियाला: पंजाब में इस वर्ष 15 सितंबर से 21 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 415 घटनाएं दर्ज की गयीं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 1,510 घटनाएं दर्ज की गयी थीं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि के दौरान 2023 में खेतों में आग लगाने की घटनाओं की संख्या 1,764 दर्ज की गई। यह भारी गिरावट अक्टूबर के पहले सप्ताह तक राज्य में बारिश के कारण धान की कटाई में देरी के बीच आई है। पंजाब में बाढ़ से हुए नुकसान के कारण भी कुछ जगहों पर फसल की कटाई में देरी हुई। अधिकारियों का कहना है कि खेतों में कड़ी निगरानी और किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में बताने वाले जागरूकता अभियानों का भी असर हुआ है।
पीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल पंजाब में धान की खेती का कुल रकबा 31.72 लाख हेक्टेयर है। 21 अक्टूबर तक इसमें से 32.84 प्रतिशत की कटाई हो चुकी थी। तरनतारन जिले में धान की खेती के 67.95 प्रतिशत क्षेत्र में कटाई हो चुकी है। अमृतसर में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत है। पराली जलाने की सबसे ज़्यादा घटनाएं इन्हीं दोनों ज़िलों में हुई हैं। चूंकि अधिकांश जिलों में फसल कटाई का काम तेजी से चल रहा है और किसान आने वाले दिनों में गेहूं की बुवाई के लिए अपने खेत तैयार कर रहे हैं, इसलिए यह देखना बाकी है कि क्या यह संख्या और बढ़ेगी। पीपीसीबी के अनुसार, अब तक पराली जलाने के 189 मामलों में पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 9.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कुल राशि में से 6.25 लाख रुपये वसूल किए जा चुके हैं। इसके अलावा, पराली जलाने की घटनाओं को लेकर 170 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिनमें तरनतारन में 61 और अमृतसर में 50 प्राथमिकी शामिल हैं।