- by Vinita Kohli
- Nov, 05, 2025 07:01
बरनाला : नगर कौंसिल बरनाला के दफ्तर में बीते कल जेई इंजी. निखिल कौशल और ठेकेदार अमनदीप शर्मा के बीच शुरू हुआ विवाद लगातार गरमाता जा रहा है। इस मामले ने नगर कौंसिल के आंतरिक भ्रष्टाचार को सबके सामने ला दिया है। एक ओर जेई निखिल कौशल ने ठेकेदार अमनदीप शर्मा पर फर्जी बिल पास करवाने के लिए कथित तौर पर दबाव डालने के आरोप लगाते हुए पुलिस को शिकायत दी है। दूसरी ओर तलवंडी साबो के निवासी ठेकेदार अमनदीप शर्मा ने इससे पहले ही विजिलेंस विभाग के डीएसपी दफ्तर में शिकायत दर्ज करवा दी थी। ठेकेदार अमनदीप शर्मा ने अपनी शिकायत में नगर कौंसिल के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे कथित भ्रष्टाचार और उनके साथ हो रही धक्केशाही का खुलासा किया है।
ठेकेदार के अनुसार उन्होंने अपनी शिकायत के साथ ऐसे ठोस सबूत भी नत्थी किए हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। इस कारण आने वाले दिनों में नगर कौंसिल बरनाला के दफ्तर में विभागीय और विजिलेंस विंग की गाड़ियों की दस्तक तय मानी जा रही है और कई अधिकारियों को विजिलेंस दफ्तर के चक्कर काटने पड़ सकते हैं। ठेकेदार अमनदीप शर्मा ने बताया कि पिछले समय में उनकी फर्म सनराइज कंस्ट्रक्शन को करीब 1.25 करोड़ रुपये के टेंडर 15.25 प्रतिशत कट पर अलॉट हुए थे।
नगर कौंसिल में ज्यादातर करीब 22 करोड़ के टेंडर 'पूल' में 4-9 प्रतिशत कट पर अलॉट किए गए थे। लेकिन उनके टेंडर का कट 15.25 प्रतिशत पर था। उन्होंने दावा किया कि नगर कौंसिल के कुछ लोग चाहते थे कि यह काम उनकी फर्म के नाम पर किसी और से करवाए जाएं। जब उन्होंने साफ इनकार कर दिया तो अधिकारियों ने बातचीत के ज़रिए कट को बढ़ाकर 16 और 18 प्रतिशत तक कर दिया। इस संबंध में नगर कौंसिल के जेई इंजी. निखिल कौशल से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया और व्हाट्सएप के माध्यम से मैसेज भेजकर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने मैसेज ही नहीं देखा।
पीड़ित ठेकेदार ने विजिलेंस को सौंपे रिश्वत के सबूत
पीड़ित ठेकेदार शर्मा ने बताया कि जब उन्होंने काम शुरू करने के लिए वर्क आर्डर की मांग की तो अधिकारियों का कथित भ्रष्टाचार वाला रूप सामने आ गया। पहले वर्क परमिट के लिए 2 प्रतिशत राशि की मांग की गई, जिस संबंध में उन्होंने ईओ (कार्य साधक अधिकारी) के खिलाफ शिकायत भी की थी। बाद में जेई द्वारा एक कंप्यूटर कर्मचारी के खाते में उनसे रकम ली गई, जबकि 25 लाख से अधिक के काम होने के कारण कथित तौर पर 'चीफ' के नाम पर भी 18 हज़ार रुपये लिए गए। उन्होंने बताया कि गूगल पे के माध्यम से किए गए भुगतान के स्क्रीन शॉट सबूत के तौर पर विजिलेंस को सौंपे हैं।
बिल सही, पर कर्मचारी विजिलेंस शिकायत से दुखी
ठेकेदार ने बताया कि फर्जी बिलों के आरोप झूठे हैं, जबकि उनके खुद के किए गए कामों के बिलों की छंटनी करके महज 9 लाख के बना दिए गए हैं। 1300 फुट दीवार के निर्माण सहित काम वाली जगह की वीडियो भी जेई को भेजने के बावजूद कोई असर नहीं हुआ। ठेकेदार ने बताया कि जब वह बिलों के संबंध में दफ्तर गए तो विजिलेंस को दी गई दरखास्त से दुखी कर्मचारी ने उनके साथ हाथापाई की, वहां मौजूद लोगों ने उन्हें मुश्किल से बचाया।
विजिलेंस जांच और पिछले मामलों का खुलासा
ठेकेदार अमनदीप शर्मा ने जेई पर लगाए गए फर्जी बिलों के आरोपों को कोरा झूठ का पुलिंदा करार देते हुए चुनौती दी कि अगर यह बात साबित हो जाती है तो वह अपनी करीब 7 महीने की बच्ची को लेकर गुरुद्वारा साहिब जाने के लिए तैयार हैं। ठेकेदार ने विजिलेंस को दिए पत्र में यह भी खुलासा किया है कि उक्त जेई के खिलाफ संगरूर जिले में भी एक मामला दर्ज है, जिसके कारण उन्हें अपनी जान-माल का खतरा महसूस हो रहा है। इसके अलावा वह पहले भी कार्य साधक अफसर के खिलाफ बड़े खुलासे कर चुके हैं, जिसके कारण नगर कौंसिल में कई दिन सन्नाटा छाया रहा था। लेकिन तीन महीनों बाद भ्रष्टाचार रूपी दैत्य फिर बाहर आ गया है।