Thursday, Sep 11, 2025

स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे का संकेत: गर्मियों में कोल्ड ड्रिंक्स बन रहे ‘मीठा जहर’!


111 views

बरनाला, जगमार्ग न्यूज़ : गर्मियों के मौसम में शरीर को ठंडक देने और प्यास बुझाने के लिए जहां पहले लोग लस्सी, मौसमी फल, रबड़ी, बेल शरबत, नींबू पानी जैसे प्राकृतिक पेयों का सेवन किया करते थे, वहीं अब यह स्थान तेजी से कोल्ड ड्रिंक्स और मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स ने ले लिया है। यह बदलाव न केवल परंपरागत खानपान से दूरी की ओर इशारा करता है, बल्कि स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे का संकेत भी है। बुजुर्गों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि गर्मियों में पारंपरिक पेय अपनाए जाएं, तो लू और गर्मी से आसानी से बचाव किया जा सकता है। मगर तेज रफ्तार जीवनशैली और बदलते खानपान के कारण युवा पीढ़ी जंक फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स की ओर अधिक आकर्षित हो रही है, जिससे कई प्रकार की बीमारियां आम हो गई हैं। डा. विपन गुप्ता भदौड़ ने लोगों से अपील की है कि वे इस गर्मी को ध्यान में रखते हुए कोल्ड ड्रिंक्स जैसे मीठे जहर से दूर रहें और स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक पेयों को अपनाएं। उनका कहना है "नींबू पानी, छाछ और नारियल पानी जैसे पेय सस्ती, सुलभ और सुरक्षित विकल्प हैं जो शरीर को भीतर से पोषण देते हैं। " गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक देने की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए गलत रास्ता अपनाना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है। यदि आप वास्तव में स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो कोल्ड ड्रिंक्स से परहेज करें और परंपरागत पेयों को अपनी जीवनशैली में शामिल करें।



कोल्ड ड्रिंक्स : स्वाद में मीठा, असर में जहर

स्वास्थ्य एवं पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, कोल्ड ड्रिंक्स में अत्यधिक चीनी और रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे खत्म कर देते हैं। डॉ. विपन गुप्ता भदौड़ बताते हैं कि “इन पेयों में वसा की मात्रा अत्यधिक होती है, जिससे मोटापा बढ़ता है और साथ ही मधुमेह, लीवर खराबी, हृदय रोग, हाई बी.पी. जैसी बीमारियां भी जन्म लेती हैं।” एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स की खपत पिछले एक दशक में इतनी अधिक बढ़ी है कि इससे मधुमेह के करीब 1.30 लाख और हृदय रोग के 14,000 नए मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि एक कोल्ड ड्रिंक की केन में लगभग 200 कैलोरी होती है, जिसे शरीर बिना किसी पोषण लाभ के संग्रहित करता है और अंततः यह कैलोरी चर्बी में बदल जाती है।



बच्चों और युवाओं पर भारी असर

डॉक्टरों का कहना है कि कोल्ड ड्रिंक्स का असर बच्चों पर सबसे ज्यादा पड़ता है। इससे उनका शारीरिक विकास बाधित होता है और मानसिक रूप से भी वह कमजोर हो सकते हैं। साथ ही ये पेय उनकी हड्डियों की ताकत कम कर सकते हैं और उनके लीवर तथा किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप जैसे घटक जो इन ड्रिंक्स में प्रयुक्त होते हैं, विशेषकर नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर रोग से पीड़ित लोगों के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। डॉक्टरों के अनुसार रोजाना एक केन से अधिक सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करने वाले पुरुषों में हृदय रोग और मधुमेह का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।



संक्रमणों का भी बन सकता है कारण

गर्मी में इन पेयों का सेवन हैजा, दस्त, ज्वर, मस्तिष्क ज्वर, निमोनिया, दृष्टि दोष, स्नायु रोग और यहां तक कि हृदय घात जैसी बीमारियों को भी बढ़ावा देता है। इसकी एक वजह यह है कि इन पेयों को बनाने और डिब्बों में भरने के दौरान कई रासायनिक प्रक्रियाएं होती हैं, जिससे इनके पोषक तत्व और सुगंध समाप्त हो जाती है।



समाधान: घर का बना जूस, नींबू पानी और लस्सी

वैकल्पिक तौर पर यदि लोग घर में निकाले गए ताजे फलों के जूस, नींबू पानी, बेल शरबत, छाछ, रबड़ी और लस्सी जैसी चीजों का सेवन करें, तो गर्मी से शरीर को ठंडक मिलती है और साथ ही आवश्यक विटामिन, खनिज और फाइबर भी मिलते हैं। ये पेय शरीर को चुस्त-दुरुस्त और स्फूर्तिवान बनाए रखते हैं।

author

Vinita Kohli

स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे का संकेत: गर्मियों में कोल्ड ड्रिंक्स बन रहे ‘मीठा जहर’!

Please Login to comment in the post!

you may also like