Tuesday, Sep 30, 2025

कल अपने 'पहले घर' चंडीगढ़ में अंतिम विदाई की उड़ान भरेगा मिग-21, वॉटर कैनन देगा सैल्यूट


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चंडीगढ़: मिकोयन ग्युरेविच (मिग-21) अपने पहले घर चंडीगढ़ से 26 सितंबर को विदाई लेगा। मिग-21 की विदाई भावुक कर देने वाला क्षण होगा क्योंकि इस विमान ने कई दशकों तक देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा की है। बुधवार को मिग-21 की विदाई को लेकर फुल ड्रेस रिहर्सल की गई। रिहर्सल के दौरान सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम आसमान में जादू बिखेरा तो पैंथर और जगुवार ने हैरतअंगेज कारनामे दिखाए। वहीं मिग-21 की विदाई के बाद उसका उत्तराधिकारी तेजस होगा, जिसे भारतीय वायु के जंगी बेड़े में शामिल करने का फैसला लिया जा चुका है, हालांकि औपचारिक घोषणा होनी बाकी है।


अप्रैल 1963 में छह मिग-21 विमान चंडीगढ़ पहुँचे। इन्हें पहले मुंबई के नं. 2 इक्विपमेंट डिपो पर रूस से असेंबल कर उड़ान योग्य बनाया गया था और वहाँ से आगरा होते हुए चंडीगढ़ लाया गया। इन विमानों को सोवियत इंजीनियरों ने जोड़ा और उनके पायलटों ने परीक्षण उड़ान भरी। मिग-21 विमानों के शामिल होने के साथ नं. 28 स्क्वाड्रन को ‘द फर्स्ट सुपरसॉनिक्स’ का नाम मिला, जो आज तक उसके साथ जुड़ा है। बता दें कि मिग-21 को 12 विंग एयर बेस चंडीगढ़ में शामिल किया गया था, जिसे इसका पहला घर माना जाता है।


अब 26 सितंबर को दोपहर करीब 12 बजे मिग-21 बाइसन आखिरी उड़ान भरकर चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर ही उतरेगा। यह उड़ान इसलिए भी ऐतिहासिक होगी क्योंकि चंडीगढ़ में ही मिग-21 की पहली स्क्वाड्रन बनाई गई थी। अब छह दशक से अधिक समय बाद एक और वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह, शुक्रवार दोपहर ‘बादल 3’ कॉल साइन के साथ नं. 23 स्क्वाड्रन की अंतिम उड़ान भरेंगे। इस तरह चंडीगढ़ से शुरू हुई यात्रा का समापन भी चंडीगढ़ में ही होगा और मिग-21 की गूंज हमेशा के लिए इतिहास का हिस्सा बन जाएगी।



सूर्यकिरण एरोबेटिक ने दिखाए अद्भुत नजारे

बुधवार को मिग-21 की विदाई को लेकर आयोजित हुई फुल ड्रेस रिहर्सल में सूर्य किरण एरोबैटिक टीम ने आसमान में अद्भुत नजारे दिखाए। सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम, जिसे "भारतीय वायु सेना के राजदूत" के रूप में जाना जाता है, अपनी सटीकता, कौशल और टीम वर्क के लिए प्रसिद्ध है। लाल और सफेद रंग के आकर्षक हॉक एमके-132 जेट उड़ाते हुए, टीम ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। इसके साथ ही मिग-21 ने अंतिम उड़ान भरी और पैंथर तथा जगुआर ने भी आसमान में अद्भुत नजारे दिखाए।



विदाई समारोह में शीर्ष सैन्य नेतृत्व होगा शामिल

मिग-21 के विदाई समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य मेहमान होंगे। उनके साथ वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह और महिला फाइटर पायलट स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा भी मौजूद रहेंगी। इसके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी सहित अन्य रक्षा विशेषज्ञ व अधिकारी शामिल होंगे। घोषित कार्यक्रम के अनुसार, तीनों सेनाओं के प्रमुख, भारतीय वायुसेना के सभी कमांडों के कमांडर-इन-चीफ तथा वायुसेना के छह पूर्व प्रमुख भी मौजूद रहेंगे। इनमें एयर चीफ मार्शल एस. कृष्णास्वामी, ए.वाई. टिपनिस, एस.पी. त्यागी, पी.वी. नाइक, बी.एस. धनोआ और आर.के.एस. भदौरिया शामिल हैं। आखिरी उड़ान पर छह मिग-21 के साथ जो पायलट उड़ान भरेंगे, वे इस लड़ाकू विमान के साथ अपने अंतिम अनुभव को एक फीडबैक रिपोर्ट के रूप में तैयार करेंगे जिसे वायुसेना ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सहेज कर रखेगी।


मिग-21 और चंडीगढ़ का ऐतिहासिक जुड़ाव

नं. 28 स्क्वॉड्रन, जिसे मिग-21 विमानों की पहली खेप से लैस किया गया था, 2 मार्च 1963 को चंडीगढ़ में विंग कमांडर (बाद में एयर चीफ मार्शल और वायुसेना प्रमुख) दिलबाग सिंह की कमान में गठित हुई थी। उस समय एयरफोर्स स्टेशन चंडीगढ़ के स्टेशन कमांडर ग्रुप कैप्टन त्रिलोक नाथ घडि़योक थे, जिन्होंने अप्रैल 1961 में नं. 44 स्क्वाड्रन की नींव रखी थी। मिग-21 एफ-13 टाइप, जो विमान का पुराना संस्करण था, भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया।


इसके लिए वायु मुख्यालय से सात अधिकारियों को रूस भेजा गया, जिनमें विंग कमांडर दिलबाग सिंह, स्क्वाड्रन लीडर एमएसडी वोल्लेन व एसके मेहरा और फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए.के. मुखर्जी, एच.एस. गिल, ए.के. सेन, डेंजिल कीलोर और बी.डी. जयाल शामिल थे। हालांकि डेंजिल कीलोर स्वास्थ्य कारणों से प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पाए, वहीं वोल्लेन बाद में दिलबाग सिंह के उत्तराधिकारी बने और 1965 भारत-पाक युद्ध के दौरान स्क्वाड्रन की कमान संभाली। दिसंबर 1963 में चंडीगढ़ के पास मिग-21 का पहला हादसा हुआ, जब गणतंत्र दिवस परेड की तैयारी के दौरान दो विमान आसमान में टकरा गए। उस समय शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आने वाले वर्षों में मिग-21 और उसके वेरिएंट अनेक हादसों के लिए सुर्खियों में रहेंगे, जिनमें सैकड़ों पायलटों की जान गई और इसी कारण इसे कुख्यात उपनाम ‘फ्लाइंग कॉफिन’ मिल गया।

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Vinita Kohli

कल अपने 'पहले घर' चंडीगढ़ में अंतिम विदाई की उड़ान भरेगा मिग-21, वॉटर कैनन देगा सैल्यूट

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