Tuesday, Oct 28, 2025

छठ महापर्व सूर्य की उपासना के साथ सामाजिक समरसता और पारिवारिक एकता का प्रतीक: सुमन बहमनी


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यमुनानगर: सूर्य की उपासना का पावन छठ महापर्व ट्विनसिटी में श्रद्धा के साथ मनाया गया। पश्चिमी यमुना नहर के किनारों पर श्रद्धालुओं ने छठ पूजा की। छठ महापर्व पर पूर्वांचल कल्याण सभा द्वारा तीर्थ नगर घाट के नजदीक, पूर्वांचल समाज द्वारा बाड़ी माजरा पुल के पास कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिनमें मेयर सुमन बहमनी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने श्रद्धालुओं के साथ मिलकर पूजा अर्चना की और सभी को छठ महापर्व की शुभकामनाएं दी। आयोजकों द्वारा मेयर सुमन बहमनी का फूल मालाएं पहनाकर स्वागत किया। मेयर ने कार्यक्रम में भाग लेकर छठ मईयां की पूजा की।


मेयर सुमन बहमनी ने कहा कि संतान की मंगल कामना एवं परिवार की खुशहाली के लिए समर्पण व त्याग की पराकाष्ठा के पर्व की सभी को बधाई। उन्होंने छठ मैया और सूर्य देव से प्रार्थना की है कि ममता की प्रतिमूर्ति माताओं की कामनाएं पूर्ण करें और सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं सम्पन्नता की उत्तरोत्तर वृद्धि करें। मेयर सुमन बहमनी ने कहा कि छठ महापर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो प्रकृति, श्रम और कर्तव्य के प्रति सम्मान को दर्शाता है। यह पर्व सूर्य की उपासना के साथ-साथ सामाजिक समरसता और पारिवारिक एकता का भी प्रतीक है। छठ में लोग नदी घाटों पर एकत्र होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं और प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह पर्व हमें जीवन में त्याग, अनुशासन और सहयोग का महत्व सिखाता है। 


भारतीय संस्कृति की विशेषता यह है कि यहां प्रत्येक पर्व आज भी केवल उत्सव नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन का वाहक है। हमारे पर्व हमें यह स्मरण कराते हैं कि जीवन मात्र सांसारिक उपभोग का नाम नहीं, अपितु आत्मानुशासन, प्रकृति-समन्वय, कर्तव्य-निष्ठा और सामाजिक सहअस्तित्व का भी अपरिहार्य मार्ग है। इसी मूल भावना के साथ मनाया जाने वाला छठ पर्व भारतीय लोक-आस्था का ऐसा विराट उत्सव है, जिसमें लोक की ऊर्जा, श्रम की गरिमा, मातृ-शक्ति का गौरव, जल-धरा-आकाश का पवित्र तादात्म्य और सूर्य-उपासना की प्राचीन परम्परा एक साथ साकार होती है। मेयर बहमनी ने कहा कि छठ पर्व का उद्गम अत्यन्त प्राचीन है। वेदों में उल्लेखित सूर्योपासना की परम्परा से इसका संबंध माना जाता है। ऋग्वेद में सूर्य को प्राणों का प्रदाता, जीवन का आधार और सात्विक ऊर्जा का स्रोत कहा गया है। भारतीय ज्ञान-परम्परा में सूर्य ज्ञान, तप, तेज, श्रम, अनुशासन और सत्यनिष्ठा का प्रतीक है। 


छठ में हम सूर्य के इसी जीवनदायी स्वरूप की आराधना करते हैं , क्योंकि सूर्य सार्वभौमिक है। न वह किसी जाति का है, न किसी सम्प्रदाय का। वह सभी के लिए समान है। इसी से छठ अहंकार के पूर्णतः त्याग, समता और समरसता का पर्व भी है। उन्होंने कहा कि छठ व्रत केवल धार्मिक नहीं, बल्कि शारीरिक अनुशासन और मानसिक धैर्य का अद्वितीय उदाहरण है। चार दिनों तक व्रती तप, संयम, एकाग्रता और सेवा-भाव से पूर्ण नियमों का पालन करती हैं। यह संकल्प व्रत हमें सिखाता है कि जीवन में प्राप्ति केवल इच्छाओं से नहीं, बल्कि त्याग, श्रम और अनुशासन से होती है। मेयर बहमनी ने कहा कि छठ पर्व में समाज का कोई भी वर्ग, जाति, पद या सम्पत्ति भेद दिखाई नहीं देता। सारे लोग एक समान भावना से नदी-घाट पर एकत्र होते हैं। लोग एक-दूसरे की सेवा करते हैं, घाट बनाते हैं, स्वच्छता का ध्यान रखते हैं, प्रसाद बांटते हैं कि बिना किसी स्वार्थ, बिना किसी भेद के। यह दृश्य अपने आप में भारतीय सामाजिक एकता का जीवंत दर्शन है।

author

Vinita Kohli

छठ महापर्व सूर्य की उपासना के साथ सामाजिक समरसता और पारिवारिक एकता का प्रतीक: सुमन बहमनी

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