- by Vinita Kohli
- Nov, 01, 2025 04:35
चंडीगढ़: शहर की जलापूर्ति व्यवस्था में बड़े बदलाव के संकेत देते हुए नगर निगम सदन ने 24 घंटे पेन सिटी जलापूर्ति प्रोजेक्ट पर निजी कंपनी को जिम्मेदारी सौंपने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है, जबकि कर्ज आधारित मॉडल को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। वर्ष 2025 की अंतिम जनरल हाउस बैठक में लंबी बहस के बाद यह सहमति बनी कि पूरे शहर में कर्ज लेकर पाइपलाइनें बदलने के बजाय जहां जरूरत हो वहां नगर निगम अपने संसाधनों से चरणबद्ध सुधार करेगा। प्रशासक गुलाब चंद कटारिया के कड़े रुख और चुनावी वर्ष की सियासी संवेदनशीलता के चलते यह फैसला लिया गया, ताकि न तो परियोजना को पूरी तरह नकारा जाए और न ही जनता पर तत्काल आर्थिक बोझ डाला जाए। हालांकि औपचारिक मंजूरी नहीं दी गई, लेकिन निजीकरण अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि फैसले की दिशा बन चुका है।
निजी निवेश की ओर झुकाव
सदन में हुई चर्चा के दौरान साफ हुआ कि पूरे शहर में कर्ज लेकर पाइपलाइन बदलने का विकल्प न तो प्रशासक को स्वीकार है और न ही अधिकांश पार्षदों को। ऐसे में निजी निवेश से जल व्यवस्था को आधुनिक बनाने का रास्ता एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में उभरा है। यदि यह मॉडल लागू होता है तो निजी कंपनी खुद पूंजी निवेश करेगी, 24 घंटे पानी सप्लाई और पूरे नेटवर्क का रखरखाव संभालेगी, जबकि नगर निगम नियम और पानी के रेट तय करेगा। हालांकि कई पार्षदों ने आशंका जताई कि निजी हाथों में जाने से पानी महंगा हो सकता है और आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
‘ईएमआई वाला पानी नहीं चलेगा’
कर्ज आधारित मॉडल का कड़ा विरोध करते हुए भाजपा पार्षद सौरभ जोशी ने कहा कि उन्होंने कहा कि पानी मुनाफे का नहीं, बल्कि जनता की मूल जरूरत का विषय है। कर्ज आधारित योजनाओं से आने वाले वर्षों में पानी के रेट में हर साल करीब पांच प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है, जो स्वीकार्य नहीं।
लीकेज और चोरी रोकने के लिए अलग एजेंसी का सुझाव
बैठक में यह सुझाव भी सामने आया कि नगर निगम केवल पानी की चोरी, लीकेज और प्रेशर मैनेजमेंट के लिए अलग एजेंसी नियुक्त करे। इससे पानी की बर्बादी रुकेगी, खर्च घटेगा और नियंत्रण नगर निगम के पास रहेगा। इसके साथ ही हाइब्रिड मॉडल पर भी सहमति के संकेत मिले, जिसमें जल सप्लाई का नियंत्रण निगम के पास रहेगा और तकनीकी काम निजी कंपनियों से करवाए जाएंगे।
मनीमाजरा जमीन सौदे पर प्रशासक का सख्त फैसला
सदन बैठक में पार्षद प्रेमलता द्वारा उठाए गए मनीमाजरा की जमीन को औने-पौने दाम पर बेचने के मुद्दे पर प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने संज्ञान लेते हुए जमीन कम दर पर न बेचने के निर्देश दिए। इससे नगर निगम को सैकड़ों करोड़ रुपये के संभावित नुकसान से बचाया जा सका। इस फैसले पर पार्षद प्रेमलता ने प्रशासक का आभार जताया। प्रेमलता ने बताया कि उन्होंने डड्डूमाजरा वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट और राम दरबार हॉर्टिकल्चर वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट से जुड़े मुद्दे भी उठाए थे, जिनसे नगर निगम और जनता के टैक्स के सैकड़ों करोड़ रुपये की बचत हुई है। अब डड्डूमाजरा वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट का टेंडर पूरी पारदर्शिता के साथ जारी किया जाएगा, जिससे और बचत होने की उम्मीद है। उन्होंने प्रशासक के साथ-साथ नगर निगम कमिश्नर का भी धन्यवाद किया।
सदन में दिखा तालमेल का अभाव
बैठक के दौरान कई मौकों पर मेयर और पार्षदों के बीच तालमेल की कमी भी साफ नजर आई। एक प्रस्ताव पारित होने के बाद अगले प्रस्ताव पर फिर से पुराने मुद्दों पर सवाल उठते रहे। स्लॉटर हाउस से जुड़ा प्रस्ताव भाजपा के कुछ पार्षदों के डिसेंट नोट के साथ दोबारा पारित किया गया। कम्युनिटी सेंटर बुकिंग से जुड़े टेबल प्रस्ताव में भी यही स्थिति बनी। कई बार मेयर भी असहज नजर आईं। हालात यह रहे कि पिछली बैठक के मिनट्स की पुष्टि और चर्चा के बीच दक्षिण सेक्टरों की सफाई व्यवस्था से जुड़ा टेंडर प्रस्ताव अंत में लाना पड़ा।
ये अहम प्रस्ताव भी पारित