चंडीगढ़ : लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करना राजनीतिक दलों को काफी महंगा पड़ रहा है। सिर्फ नुक्कड़ सभा की मंजूरी लेने के लिए ही उन्हें 16 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। चुनाव प्रचार के बढ़ते खर्च और पार्टी के वित्तीय सहायता न मिलने के कारण ही सोमवार को शिअद के चंडीगढ़ से उम्मीदवार हरदीप सिंह ने टिकट पार्टी को वापस कर दी थी। राजनीतिक दलों के नेताओं का कहना है कि नुक्कड़ सभा की मंजूरी लेने पर जो पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं वह बहुत ज्यादा है। बड़ी पार्टियां ये खर्च उठा सकती हैं, लेकिन छोटे दल के प्रत्याशियों के लिए काफी मुश्किल हो रही है। कुछ राजनीतिक दलों ने इसे कम करने की भी मांग भी की थी, लेकिन उन्हें खारिज कर दिया गया। इस संबंध में कांग्रेस पार्टी की तरफ से जिला चुनाव अधिकारी व शहर के डीसी विनय प्रताप सिंह को रेट कम करने के लिए ज्ञापन भेजा गया था। डीसी ऑफिस की तरफ से यह ज्ञापन नगर निगम को फॉरवर्ड कर दिया गया। अब नगर निगम की तरफ से जवाब आया है कि वह रेट को कम नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह रेट नगर निगम की फाइनेंस व कॉन्ट्रेक्ट कमेटी द्वारा तय किए गए हैं और वहीं उसमें संशोधन कर सकते हैं। आचार संहिता लगी होने की वजह से फिलहाल इसमें संशोधन भी नहीं किया जा सकता। राजनीतिक दलों के नेताओं का कहना है कि नुक्कड़ सभाओं की प्रत्येक मंजूरी पर करीब 16 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। यह बहुत ज्यादा है। छोटे दलों के प्रत्याशियों के लिए हर नुक्कड़ सभा की मंजूरी के लिए इतने रुपये खर्च कर पाना बहुत मुश्किल है। प्रत्याशी द्वारा नामांकन भरने के बाद सभी खर्च उनके खाते में जोड़े जाएंगे। ऐसे में अगर एक दिन में छह जनसभाएं हुई, तो सिर्फ मंजूरी का खर्च करीब एक लाख रुपये तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा टेंट व कुर्सी समेत अन्य खर्च अलग से होंगे।