संक्रांति का अर्थ है सम्यक् दिशा में क्रांति अर्थ योग्य दिशा में चिंतन कर सकारात्मक परिवर्तन से सामाजिक जीवन का उन्नयन करना।पश्चिम संस्कृति के इतिहास में क्रांति का अर्थ केवल रक्तपात लूटपाट आदि से है परन्तु सनातन संस्कृति के इतिहास में क्रांति का अर्थ सामाजिक उन्नति के लिए विभिन्न कालखंडों में माँ भारती के वीर सपूतों द्वारा किए गए प्रगति कार्य से हैं, जिसमें महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी,पृथ्वीराज चौहान, बप्पा रावल, गुरु गोबिंद सिंह, विवेकानंद, दयानंद सरस्वती, सुभाष चन्द्र बोस, और अनगिनत व्यक्तित्व शामिल हैं जिन्होंने अपने स्वार्थ को त्याग सामाजिक विषमताओं को दूर कर सामाजिक उद्धार का कार्य किया।समाज में क्रांति सैद्धांतिक विचार से उत्पन्न होकर, विचार की पूर्णता की योजना बना कार्य पद्धति द्वारा लक्ष्य प्राप्ति से होती है।