- by Vinita Kohli
- Nov, 01, 2025 04:35
चंडीगढ़: पीजीआई अब दूरदराज के गांवों और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित क्षेत्रों में भी आंखों के विशेषज्ञ इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने जा रहा है। यह सुविधा एडवांस्ड आई सेंटर की टीम द्वारा विकसित नए एआई आधारित टेलीमेडिसिन मॉडल के माध्यम से संभव होगी। इस मॉडल के जरिए ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के मरीज अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्रों से ही विशेषज्ञ डॉक्टरों से ऑनलाइन कंसल्टेशन कर सकेंगे। एआई सिस्टम रोगी के लक्षणों का विश्लेषण करेगा और प्राथमिक निदान के साथ डॉक्टर को सटीक जानकारी उपलब्ध कराएगा। मरीज जब इस प्लेटफॉर्म पर लॉगिन करेंगे, तो वे अपने लक्षण, पुरानी रिपोर्ट और स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य जानकारी दर्ज कर सकेंगे। एआई सिस्टम इन डाटा को प्रोसेस कर एक समग्र डायग्नोस्टिक तस्वीर तैयार करेगा, जो पारंपरिक जांचों में अक्सर छूट जाती है। इससे डॉक्टरों को तेज और सटीक निर्णय लेने में मदद मिलेगी और मरीजों को समय पर बेहतर उपचार मिल सकेगा।
पीजीआई प्रशासन का कहना है कि इस पहल से मरीजों को शहर तक आने की आवश्यकता नहीं होगी, समय और खर्च की बचत होगी, और आंखों से संबंधित गंभीर बीमारियों का समय पर पता लगाकर उपचार संभव होगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए पीजीआई की गवर्निंग बॉडी ने 98 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। नई इमारत परिसर के नशा मुक्ति केंद्र के पास बनेगी और इसमें छह मंजिलों के विस्तार भवन में चार आधुनिक ऑपरेशन थिएटर शामिल होंगे। पीजीआई के एडवांस आईकेयर सेंटर के डॉक्टरों के मुताबकि यह टेलीमेडिसिन सिस्टम से बिल्कुल अलग होगा। पहले की प्रणालियों में जांच के लिए महंगे उपकरण जैसे फंडस कैमरा और प्रशिक्षित तकनीशियन की जरूरत होती थी। नई प्रणाली में मरीज सिर्फ अपने मोबाइल फोन से ही आंखों की तस्वीरें क्लिक कर डॉक्टरों तक भेज सकेंगे। एआई इन तस्वीरों और लक्षणों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेगा और डॉक्टर तुरंत ऑनलाइन जांच शुरू कर सकेंगे।
गौरतलब है कि पीजीआई प्रशासन ने ओपीडी में हर दिन उमड़ने वाली भीड़ को कम करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। अब बार-बार फॉलोअप के लिए आने वाले मरीजों का इलाज टेलीमेडिसिन के जरिए किया जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ विभागों में यह सुविधा शुरू की गई थी, जहां ओपीडी में रोजाना मरीजों की संख्या बहुत अधिक रहती है। एंडोक्राइनोलॉजी, गायनोकोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और पेन क्लिनिक विभागों के प्रमुखों के साथ टेलीमेडिसिन विभाग की बैठक में तय किया गया था कि फॉलोअप मरीजों को टेली कंसल्टेशन के जरिए ही इलाज दिया जाएगा। ओपीडी में आने वाले कुल मरीजों में से करीब 70 प्रतिशत फॉलोअप वाले होते हैं। यानी ये ऐसे मरीज हैं जिन्होंने पहले इलाज कराया है और केवल दवाएं बदलवाने या मामूली सलाह के लिए आते हैं। टेलीमेडिसिन के माध्यम से अब इन्हीं मरीजों को घर बैठे ही उपचार और परामर्श मिल रहा है, जिससे अस्पताल में भीड़ कम होने के साथ मरीजों का समय और खर्च भी बच रहा है।