चंडीगढ़: कांग्रेस महासचिव और सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा के विश्वविद्यालयों की पढ़ाई को “सेल्फ फाइनेंस कोर्सेस” में बदलने की मंशा पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयान पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का निजीकरण कर सरकारी शिक्षा पर ताला लगाने की भाजपा-जजपा सरकार की दुर्भावना उजागर हो गई है। विधार्थी वर्ग को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने का ये घिनौना षड्यंत्र है। रंणदीप ने कहा कि हरियाणा के सैंकड़ों सरकारी विद्यालयों पर ताले लगाने के बाद खट्टर सरकार ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में भी प्राइवेटाइजेशन का मॉडल' लागू करके उच्च शिक्षा को “औने-पौने दामों पर बेचने का अभियान” छेड़ दिया है। उन्होंने इसे गरीब व कमेरे वर्ग को शिक्षकों वंचित करने का षडयंत्र करार देते हुए कहा है कि प्रदेश के युवा सरकार की इस शिक्षा विरोधी साज़िश के खिलाफ खट्टर-दुष्यंत चौटाला की जौड़ी को कभी माफ़ नहीं करेंगे।
रणदीप ने कहा कि ये सरकार जानती है कि यदि साधारण घरों के बच्चे इसी प्रकार आगे बढ़ते रहे तो इनकी झूठ और लूट की राजनीति ज्यादा दिन नही चल पाएगी और इसीलिये खट्टर सरकार प्रदेश के गरीब-दलित और किसान -कमेरे परिवारों के बच्चों को उच्च शिक्षा से वंचित रखकर इनकी 'व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी' के झूठे ज्ञान में उलझाए रखना चाहती है। उन्स कहा कि समाज के हर नागरिक को सरकारी अनुदान पर स्तरीय शिक्षा उपलब्ध करवाना हर लोकतांत्रिक सरकार की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है। इसी दायित्व का निर्वहन करते हुए कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने प्रदेश में कई शानदार सरकारी विश्वविद्यालय स्थापित किए थे जहां हर गरीब-वंचित परिवार का बच्चा 500 रुपये महीना से भी कम औसत फीस पर उच्च शिक्षा हासिल कर सकता है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि खट्टर सरकार जब से सत्ता में आई है तभी से उच्च शिक्षण संस्थानों को दुकानों में बदलने की साज़िश रचने में जुटी है। इसी कड़ी में पिछले वर्ष मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, जो दुर्भाग्य से प्रदेश के वित्तमंत्री भी हैं, ने विश्वविद्यालयों को वित्तीय अनुदान बन्द करके इसके स्थान पर विश्वविद्यालयों को कर्जा देने का आदेश पारित किया था।
ये तो गनीमत है कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षक और गैर शिक्षक संघ के विरोध के कारण उन्हें मुंह की खानी पड़ी और अपना आदेश वापस लेना पड़ गया अन्यथा जिस प्रकार मोदी सरकार ने देश के बाकी सार्वजनिक उपक्रमों को कौड़ियों के दाम बेच डाला उसी तरह विश्वविद्यालयों को भी पहले कर्ज़ के जंजाल में फँसाया जाता और उसके बाद इनके करीबी उद्योगपतियों को बेच दिया जाता।
रणदीप ने कहा कि पिछले साल प्रदेश के विश्वविद्यालयों के विरोध से अपनी फजीहत करवाने के बाद भी खट्टर सरकार बाज़ नही आ रही है। अबकी बार खट्टर के संघी सलाहकारों ने उन्हें उच्च शिक्षा के व्यापारीकरण का नया रास्ता सुझा दिया है। विश्वविद्यालय को वित्तीय सहायता देकर उन्हें 'क्वालिटी एजुकेशन' पर फोकस करने के निर्देश देने की बजाय खट्टर साहब उन्हें सेल्फ फाइनेंस कोर्सेज आरम्भ करके लोगों से पैसा वसूलने की नसीहत जारी कर रहे हैं।