- by Vinita Kohli
- Nov, 01, 2025 04:35
चंडीगढ़: शिक्षा के साथ-साथ स्वच्छता को लेकर चंडीगढ़ ने एक बार फिर देशभर में मिसाल कायम की है। केंद्र सरकार द्वारा पेश ताजा आंकड़ों के अनुसार चंडीगढ़ उन चुनिंदा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शामिल है, जहां सरकारी स्कूलों में शौचालय सुविधा और कार्यशील शौचालयों का प्रतिशत पूरी तरह संतुलित और शत-प्रतिशत दर्ज किया गया है। खास बात यह है कि यह उपलब्धि केवल सामान्य शौचालयों तक सीमित नहीं है, बल्कि बालिकाओं के लिए बने शौचालयों और उनके कार्यशील होने के मामले में भी चंडीगढ़ ने 100 प्रतिशत का आंकड़ा छू लिया है। आंकड़े बताते हैं कि चंडीगढ़ में सभी सरकारी स्कूलों में शौचालय उपलब्ध हैं और वे पूरी तरह कार्यशील स्थिति में हैं। यही नहीं, प्रत्येक सरकारी स्कूल में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय मौजूद हैं और वे भी पूरी तरह उपयोग योग्य हैं। शिक्षा और स्वच्छता के इस मजबूत ढांचे ने चंडीगढ़ को देश के अग्रणी राज्यों/यूटी की पंक्ति में खड़ा कर दिया है।
देश के औसत पर नजर डालें तो स्थिति उतनी संतोषजनक नहीं दिखती। पूरे भारत में सरकारी स्कूलों में शौचालय सुविधा का औसत 98.7 प्रतिशत है, जबकि कार्यशील शौचालयों का औसत 95.8 प्रतिशत तक सिमटा हुआ है। वहीं बालिकाओं के लिए शौचालय सुविधा का राष्ट्रीय औसत 97.1 प्रतिशत और उनके कार्यशील होने का औसत 93.6 प्रतिशत दर्ज किया गया है। ऐसे में चारों श्रेणियों में 100-100 प्रतिशत का संतुलन बनाए रखना चंडीगढ़ को विशेष बनाता है। रिपोर्ट के मुताबिक चंडीगढ़ उन गिने-चुने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में शामिल है, जिन्होंने इस मोर्चे पर शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है। इस सूची में अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव, दिल्ली, हरियाणा, लक्षद्वीप, पुदुचेरी और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य/यूटी शामिल हैं। इन सभी ने स्कूल स्वच्छता के बुनियादी मानकों को मजबूती से लागू कर उदाहरण प्रस्तुत किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों में स्वच्छ और कार्यशील शौचालय केवल स्वास्थ्य से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध विद्यार्थियों की उपस्थिति, खासकर बालिकाओं की निरंतर शिक्षा से भी है। चंडीगढ़ का यह प्रदर्शन न सिर्फ प्रशासनिक सजगता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि ठोस योजना और नियमित निगरानी से राष्ट्रीय औसत से बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।