- by Vinita Kohli
- Nov, 01, 2025 04:35
चंडीगढ़: जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक सोमवार को चंडीगढ़ के उपायुक्त निशांत कुमार यादव की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में जिले में सड़क सुरक्षा से जुड़े विभिन्न उपायों की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गई तथा सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु दर में कमी लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। बैठक में एसएसपी (ट्रैफिक), एसडीएम, परिवहन विभाग, पुलिस विभाग, इंजीनियरिंग विंग्स, स्वास्थ्य विभाग, नगर निकायों के वरिष्ठ अधिकारी सहित यातायात प्रबंधन एवं सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़े अन्य प्रमुख हितधारक उपस्थित रहे। उपायुक्त ने उन पेड़ों की छंटाई को लेकर की गई प्रभावी कार्रवाई पर संतोष व्यक्त किया, जो विभिन्न स्थानों पर यातायात संकेतों की दृश्यता में बाधा बन रहे थे।
उन्होंने कहा कि संबंधित विभागों के बीच बेहतर और समयबद्ध समन्वय के चलते यातायात संकेत अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं, जिससे न केवल यातायात का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित हुआ है, बल्कि समग्र सड़क सुरक्षा में भी उल्लेखनीय सुधार आया है। उपायुक्त ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि सड़क सुरक्षा से संबंधित कार्यों में आपसी तालमेल बनाए रखते हुए समय पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके और आम जनता की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके। बैठक के दौरान उपायुक्त ने संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए कि पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सभी ज़ेब्रा क्रॉसिंग को स्पष्ट रूप से चिह्नित, सुव्यवस्थित तथा हर समय पूर्ण रूप से दृश्यमान रखा जाए। उन्होंने कहा कि ज़ेब्रा क्रॉसिंग की नियमित देखरेख और रखरखाव से अनुशासित यातायात व्यवहार को बढ़ावा मिलेगा और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में मदद मिलेगी।
बैठक में यह भी अवगत कराया गया कि ‘शून्य मृत्यु जिला’ कार्यक्रम देश के कई राज्यों में पहले ही लागू किया जा चुका है, जहां पायलट परियोजनाओं के माध्यम से उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। विशेष रूप से ‘शून्य मृत्यु कॉरिडोर’ मॉडल के अंतर्गत मुंबई–पुणे एक्सप्रेसवे पर सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर में 58 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। वर्तमान में यह कार्यक्रम देश के 20 से अधिक जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा है, जिनमें नागपुर जैसे जिलों में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। बहु-विषयक एवं डेटा-आधारित दृष्टिकोण के महत्व पर बल देते हुए उपायुक्त ने कहा कि सड़क सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत अंतर-विभागीय समन्वय, नियमित निगरानी तथा समयबद्ध हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि वे आपसी तालमेल के साथ कार्य करें और जिले में सड़क सुरक्षा उपायों का प्रभावी एवं सतत कार्यान्वयन सुनिश्चित करें।